Thursday, January 12, 2012

वह भगवान बनाती


प्लेटफोर्म पर थी वो
फिरती इधर-उधर
अपने हाथ फैलाये
भगवान के नाम पर मांगती.
उस भगवान के नाम पर
जिसने उसे बनाया
या फिर उस भगवान के नाम पर
जिसे उसने बनाया !
उसके चेहरे पर झुर्रियाँ थीं
या झुर्रियों में चेहरा !
जो भी हों, थे दोनों.
वरना बिना झुर्रियों के भी चेहरा होता है
तभी तो आइने बिकते हैं दुनिया में.
और बिना चेहरे के भी झुर्रियाँ होती हैं.
नहीं आता यकीन, तो झाँक लो
लोगों के दिलों में,
जहाँ अब चेहरे नहीं मिलते
मिलती हैं सिर्फ झुर्रियाँ.
मुझसे भी माँगा उसने
मैंने भी उसे एक रूपया दिया
और उस क्षण में उसका भगवान बन गया.
वह फिर बढ़ गई
अपने अगले भगवान कि तलाश में
फिरती इधर-उधर
अपने हाथ फैलाये
उसी प्लेटफोर्म पर
लोगों को भगवान बनाती.

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